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Car Loan: आजकल कार खरीदना एक लक्ज़री नहीं बल्कि ज़रूरत बन चुका है। पहले जहां कार को केवल संपत्ति के रूप में देखा जाता था, वहीं अब यह रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। हालांकि, कार की कीमत अब भी काफी महंगी हो सकती है, लेकिन अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो बैंक आपको आसानी से कार लोन दे देते हैं। लेकिन, एक बात हमेशा याद रखें कि कार एक अवमूल्यन (Depreciating) संपत्ति होती है, इसका मूल्य समय के साथ घटता जाता है। जैसे ही एक नई कार शो-रूम से बाहर निकलती है, उसकी कीमत गिरने लगती है। इसलिए, अगर आप कार लोन लेने की सोच रहे हैं, तो आपको यह ध्यान में रखना चाहिए कि आपका लोन किस अवधि के लिए होना चाहिए और आप किस कार का चुनाव करें। इसके लिए एक फाइनेंशियल नियम है, जिसे ’20/4/10 का नियम’ कहा जाता है। आइए, जानते हैं इस नियम के बारे में विस्तार से।
20/4/10 का नियम क्या है?
20/4/10 का नियम एक फाइनेंशियल गाइडलाइन है, जो यह बताता है कि आप कार लोन लेते वक्त किन-किन बातों का ध्यान रखें। यह नियम आपके वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए कार खरीदने का मार्गदर्शन करता है। इस नियम के अनुसार, आप केवल तभी कार खरीद सकते हैं जब आप तीन प्रमुख शर्तों को पूरा करते हों:
1. डाउन पेमेंट कम से कम 20 प्रतिशत हो
20/4/10 के नियम का पहला हिस्सा यह कहता है कि जब आप कार खरीदने का फैसला करते हैं, तो आपको कार की कीमत का कम से कम 20 प्रतिशत या उससे ज्यादा रकम डाउन पेमेंट के रूप में चुकानी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 5 लाख रुपये की कार खरीदते हैं, तो आपको कम से कम 1 लाख रुपये डाउन पेमेंट के रूप में देना होगा। यदि आप यह कर पाते हैं, तो इस नियम का पहला शर्त पूरा हो जाता है। इसका मतलब है कि आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत है और आप अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा सकते हैं।
2. कार लोन की अवधि 4 साल से अधिक न हो
दूसरी शर्त यह है कि आपको कार लोन को अधिकतम 4 साल यानी 48 महीनों तक लेना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आपको कार लोन की अवधि कम से कम 4 साल से कम रखनी चाहिए। इससे दो फायदे होते हैं – पहला, आप जल्द से जल्द अपना लोन चुका सकते हैं और दूसरा, चूंकि कार एक अवमूल्यन संपत्ति है, आपको लंबे समय तक उस पर ब्याज नहीं चुकाना पड़ेगा। लंबे समय तक लोन रखने से आपको ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है और कार का मूल्य घटने के साथ-साथ आप जल्द ही उस कार पर पूरी रकम चुकाने से पहले ही नुकसान में हो सकते हैं।
3. मासिक आय का 10 प्रतिशत से अधिक का खर्च न हो
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि आपकी मासिक आय का 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा कार की कुल परिवहन लागत (EMI, ईंधन, मेंटेनेंस आदि) में खर्च नहीं होना चाहिए। इस नियम के तहत, आपको यह सुनिश्चित करना है कि कार के EMI, ईंधन और मेंटेनेंस की कुल लागत आपकी मासिक आय के 10 प्रतिशत से अधिक न हो। उदाहरण के लिए, अगर आपकी मासिक आय 50,000 रुपये है, तो आपका कुल परिवहन खर्च 5,000 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे आपको अपनी वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलती है और आप भविष्य में आर्थिक संकट का सामना नहीं करते हैं।
कार लोन के ब्याज दरें
जब आप कार लोन लेते हैं, तो बैंक आपको कुछ ब्याज दरों के आधार पर लोन प्रदान करते हैं। ये ब्याज दरें विभिन्न बैंकों में अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए आपको विभिन्न बैंकों के ब्याज दरों को जांचने की आवश्यकता है।
- SBI (State Bank of India): SBI की कार लोन ब्याज दर 9.10% से शुरू होती है।
- Canara Bank: Canara Bank में कार लोन पर ब्याज दर 8.70% से शुरू होती है।
- HDFC Bank: HDFC Bank की कार लोन ब्याज दर 9.40% से शुरू होती है।
- ICICI Bank: ICICI Bank में भी कार लोन पर ब्याज दर 9.10% से शुरू होती है।
इन ब्याज दरों का प्रभाव आपके लोन की राशि और मासिक EMI पर पड़ेगा। कम ब्याज दर पर लोन लेकर आप अपनी मासिक EMI कम रख सकते हैं, जिससे आपके वित्तीय बोझ में कमी आएगी।
किस बजट की कार खरीदें?
20/4/10 के नियम के मुताबिक, आपको उस कार का चुनाव करना चाहिए, जिसका लोन आप 4 साल के भीतर चुका सकें और जो आपकी मासिक आय के 10 प्रतिशत से अधिक न हो। इसका मतलब यह है कि आपको अपनी वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही कार का चुनाव करना चाहिए। बाजार में कई बजट कारें उपलब्ध हैं जो अच्छे माइलेज, कम रख-रखाव और उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, Maruti Suzuki Swift, Hyundai i20, Tata Tiago, और Renault Kwid जैसी कारें बजट में आती हैं और आपको कम लोन लेने की आवश्यकता हो सकती है।
इन कारों के फायदे यह हैं कि वे ईंधन की बचत करती हैं, उनका रख-रखाव आसान है, और कार लोन का भुगतान करना भी सरल हो सकता है।
20/4/10 का नियम कार खरीदने के समय एक महत्वपूर्ण वित्तीय मार्गदर्शिका है। यह नियम आपको बताता है कि कार लोन लेते समय आपको कौन-कौन सी शर्तों को पूरा करना चाहिए, ताकि आप अपनी वित्तीय स्थिति को खराब किए बिना कार खरीद सकें। इसके अलावा, यह आपको यह भी सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आपकी मासिक आय के अनुसार कार लोन की EMI और अन्य खर्चों का भार उचित हो।